इ कथा छी ७५ वर्षक एक पुरुष के, जिनकर जन्म मिथिला के एक सुढृढ़ गाम, जे सहरसा जिला में सुरसरि कोशी के किनार में बसल अछि. अहि कथा में जे पात्र के चर्चा भ रहल अछि , हुनकर नाम छी श्री महावीर झा. श्री महावीर बाबू के जन्म एक साधारण किसान परिवार में भेल रहैन आ पैघ भेला पर हुनकर कद काठी दूबर पातर आ ५ फ़ीट के जबान रहथिन। गामक लोग हुनका दुलार से बजरंग बलि कहैत रहैन।
हुनकर माता पिता के आर्थिक स्थिति चाहे जेहन रहे, अप्पन लाड प्यार आ आह्लाद में कोनो कमी नै राखलखिन। ओहि समय के परिपेक्ष में बालक आ बालिका के विवाह बहुत कम उम्र में, जिनका अपना सब नेना कहै छी तखने भ जाएत रहैन। ओना अप्पन हिन्दू देवता बजरंग बलि आजीवन ब्रह्मचर्य रहैथ, लेकिन हमर गाम के महावीर बाबू उर्फ़ बजरंग बलि के विवाह १०-१२ साल के उम्र में भ गेल रहैन। ओहि समय में ता न जन्म के वा नै विवाह के प्रमाण पत्र बने रहै, अहि खातिर पक्का तारीख आ साल कहब मुश्किल अछि, मुदा अहाँ कथा के भावना पर जाऊ!
आब अहाँ कल्पना का सकैत छी जे १०-१२ साल के नेना वियाह के विषय में की भुझे हथिन। आ महावीर बाबू जबरदस्त मातृभक्त आ उत्सुक नेना रहथिन, से विवाह के पूर्वे से हुनकर माता जी हुनका शिक्षा दैत रहथिन। ओना हुनकर मातृ प्रेम आ शिक्षा पर ते एक टा पुस्तक लिखा जाय सकैत अछि, समयाभाव में आ अहाँ समय के आदर करैत हम किछ ख़ास गप्प निचा प्रस्तुत क रहल छी.
१. बाबू सासुर में अप्पन सम्मान, अप्पन माता-पिता, समाज एवं गाम के सम्मान में कोनो कमी नै हुए दिहा
२. ऊंच आसान पर बैसीहा
३. कोयल जकाँ मीठ -मीठ बजिहा
समय भेला पर अप्पन गाम से ५-६ टा बैलगाड़ी पर आ किछ लोग पैदल जा के पूरा बरात के संग महावीर बाबू बियाह करा गेलखिन. हुनकर होय बाला सासुर, जे की गाम से ८-१० कोष दूरी पर हेतैन्ह, थाकल मारल सांझ के पहुंचलखिन। वर-कन्या के परिवार आ समाज के बीच भिनसर होयत विवाह विधिवत सम्पूर्ण भ गेलेन।
अगला भोर में महावीर बाबू के अप्पन माता के देल सब ज्ञान याद आबि गेलैन्ह। अहि बीच बिधकरी कोहबर में एलखिन ता घर में हुनका कियो नै भेटलैन। आंगन में पूरा तहलका उठी जेल जे ओझा जी कता चलि गेलखिन्ह। हुनकर सासु माँ कानब उठा देलखिन जे ओझा कतो परा ता नै गेल? बहुत देर बाद कोहबर से आबाज आयल कू-कू-कू. सब गोटे धरफरा के कोहबर दिस गेलखिन्ह त देखै छथिन्ह जे महावीर बाबू, घर के धड़ान पर बैस के कू-कू-कू के रहल छथिन। घर के बड़ - बुजुर्ग सब आबि के पुछलखिन जे ओझा की भेल आ अहाँ किये रुसल छी त ओ बतेलखिन जे ओ रुसल नै रहथिन बल्कि अप्पन माता के जेल ज्ञान के पालन करैत रहथिन!
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